“मात्र दो मिनट में जानिए उस महान योद्धा की कहानी, जिनकी तलवार की धार ने और जिनके विचारों की रोशनी ने भारत के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया.!
“19 फरवरी 1630, शिवनेरी का किला…

जहां जन्म हुआ भारत के वीर पुत्र, छत्रपति शिवाजी महाराज का! माता जीजाबाई के संस्कार और दादोजी कोंडदेव की शिक्षा ने शिवाजी को बचपन से ही एक महान योद्धा और दूरदर्शी नेता बना दिया।”
इसीलिए एकतरफ जब अन्य राजा आराम और गुलामी की जिंदगी जीने मैं मशगूल थे तब 16 साल के उम्र मै ही शिवाजीने स्वराज्य की शपथ ली। उन्होंने कहा. यह धरती मेरी माँ है, और इसे गुलामी से मुक्त करना मेरा कर्तव्य!”
शिवाजी महाराज की सेना संख्या मैं कम थी लेकिन उनके मावलों की हिम्मत और साहस लाजवाब था!
शिवाजी महाराज ने अपने गिनेचुने मावलों के साथ 1647 मैं सबसे पहिले तोरणा किला जीता और यहीसे उनका मुगल और आदिलशाही के खिलाफ संघर्ष शुरू हुआ.
जब उन्होंने आदिलशाह के सबसे बड़े सरदार अफजल खान का वध किया.
तो उनका पराक्रम का बोलबाला सारे हिंदुस्तान में हो गया था.
इस घटना के बाद मुगल और आदिलशाह के सरदार शिवाजी का नाम सुनते ही घबराने लगे.
शिवाजी जरूर काली जादू जानता है. शिवाजी हिरण के जैसी 25 फिट उंची छलांग मार सकता है.
और शिवाजी किसी का भी रूप ले सकता है और कहीं से भी अचानक से गायब हो सकता है.
शिवाजी महाराजने जान बूझकर अपने बारे में इस प्रकार की अफवाये फैला दी. जिससे उनका कोई भी दुश्मन कभी उनका अंदाजा नहीं लगा पाया.
जिससे मुगलों के सेना में उनके बारेमें एक प्रकार का डर पैदा होगा..

शिवाजी महाराजने ज्यादातर लड़ाइयां अमवस्या के अंधेरी रात में लड़ी..
वह रात में अचानक आते थे और दुश्मन को चकमा देकर कुछ ही क्षणों में चकनाचूर कर देते थे.!
इसीलिए आज भी उनकी इस युद्ध नीति को गुरिल्ला युद्धनीति के नाम से सारी दुनिया जानती है.
दुनिया के कई यूनिवर्सिटीज में उनकी इस युद्ध नीति पर लोग आज भी स्टडी करते है !
“औरंगजेब ने शिवाजी महाराज के खिलाफ कई चाले चलाई, लेकिन शिवाजी महाराज औरंगजेब की क्रूरता और कपट से अच्छी तरह से वाकिफ थे.
एकबार औरंगजेबने अपने सालगिरह पर शिवाजी महाराज को दिल्ली बुलाया और आगरा में कैद कर लिया…
लेकिन औरंगज़ेब शायद भूल गया था कि शिवाजी सिर्फ एक राजा,एक योद्धा ही नहीं, बल्कि उससे भी ज्यादा चतुर रणनीतिकार भी थे!
शिवाजी महाराज ने अपनी बुद्धि और चातुर्यता से थोड़े ही दिनों में औरंगजेब के कई लोगों को अपने बाजू में कर लिया..

और एक दिन मिठाई के टोकरे में बैठकर ऐसी शातिरता से औरंगजेब को चकमा दिया की जब औरंगजेब को शिवाजी की कैद से भाग जाने की खबर मिली !
तब औरंगजेब बहुत पछताया. और उसने अपने सर से पगड़ी उतार कर कसम ली कि, जब तक मै शिवा को खत्म नहीं करूंगा.
तब तक, मैं ये मुगलिया सल्तनत का तख्तों ताज अपने सर पर नहीं चढ़ाऊंगा.

1674 में शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करके रायगढ़ की गद्दी पर बैठकर अपने पिता शाहू महाराज का स्वराज्य का सपना साकार किया।
दरसल शिवाजी महाराज के पिता कोई राजा नहीं थे बल्कि आदिलशाह के एक मामूली सरदार थे.
और राजशाही में सिर्फ राजा का बेटा ही राजा हो सकता था.
लेकिन शिवाजी महाराज ने अपना राज्याभिषेक करकर यह साबित किया कि एक आम इंसान भी राजा हो सकता है.!
और एक सामान्य व्यक्ति भी नेतृत्व कर सकता है!
उनके इस निर्णयने राजेशाही में लोगशाही का बीज बो दिया. शायद इसलिए उनके राज को स्वराज कहते थे.
स्वराज यानी जनता का राज.
और इसीलिए शिवाजी महाराज को जानता राजा के नाम से भी पहचाना जाता है.
शिवाजी महाराज सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि वो विचार हैं… जो हमें सिखाते हैं कि आत्मसम्मान, निडरता और न्याय के लिए लड़ना ही हमारा सच्चा धर्म है!”
“आइए इस शिवजयंती, उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें…!
🚩 जय भवानी, जय शिवराय..!