संभाजी महाराज की अधूरी प्रेम कहानी | प्रेम और जीवन का अनोखा बलिदान

“मराठा साम्राज्य के सबसे बहादुर योद्धाओं में से एक, और जिनका नाम सुनते ही दुश्मनों के दिल कांप जाते थे. ओ वीर योद्धा धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज! लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी जिंदगी सिर्फ युद्ध और संघर्ष से भरी नहीं थी? उनकी एक प्रेम कहानी भी थी… जो अधूरी रह गई।”

संभाजी महाराज की शादी येसूबाई से हुई थी। येसूबाई सिर्फ उनकी पत्नी ही नहीं, बल्कि उनकी सच्ची साथी थीं—धैर्यवान, समझदार और राजनीति में निपुण। वो हमेशा संभाजी महाराज के साथ खड़ी रहीं, चाहे हालात कैसे भी रहे।
लेकिन, प्रेम का ये सफर आसान नहीं था। संभाजी महाराज को अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को बचाने के लिए लगातार युद्ध लड़ने पड़े। राजकीय षड्यंत्र, मुघलों का आक्रमण और मराठा साम्राज्य की रक्षा—इन सबमें उनका अधिकतर जीवन बीता। और इसी कारण, वो अपनी पत्नी येसूबाई के साथ अधिक समय नहीं बिता सके।
संभाजी महाराज की जिंदगी का सबसे दुखद अध्याय तब शुरू हुआ जब मुघल बादशाह औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया।  21 दिनो तक उन पर अमानवीय अत्याचार किए गए। इस समय येसूबाई ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह असफल रही. आखिरकार, 11 मार्च 1689 अमावस्या में रात संभाजी महाराज को औरंगजेब ने क्रूरतापूर्वक मार दिया.
दोस्तों संभाजी महाराज और येसूबाई का प्रेम, एक वीर योद्धा और एक समर्पित पत्नी की प्रेमगाथा थी। लेकिन नियति ने उनके साथ अन्याय किया…
और यह वीर पति-पत्नी की प्रेमकथा अधूरी रह गई।
” दोस्तो संभाजी महाराज सिर्फ एक योद्धा नहीं थे, बल्कि वो एक सच्चे प्रेमी और समर्पित पति भी थे। लेकीन उनका प्रेम अधूरा रह गया, उनकी वीरता और त्याग को हम कभी नहीं भूल सकते। 
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जय भवानी..
जय शिवराय…
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